छत्तीसगढ़

माओवादी आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़: एक लाख के तीन इनामी नक्सलियों ने त्यागा हिंसा का मार्ग

माओवादी आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है, जहाँ प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के डीजीएन डिवीजन के तीन इनामी माओवादियों ने हिंसा और विनाश के मार्ग को त्याग कर आत्मसमर्पण कर दिया है। यह सफलता शासन की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति (Surrender and Rehabilitation Policy) के प्रभाव और गरियाबंद पुलिस द्वारा लगातार की जा रही समर्पण की अपीलों का परिणाम है।

आत्मसमर्पित माओवादियों का विवरण और उनके ऊपर इनाम

​आत्मसमर्पण करने वाले इन तीन माओवादियों में से प्रत्येक पर 1 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इनके आत्मसमर्पण को नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।

क्रम सं.

नाम (पार्टी पद)

इनाम राशि

विशेष विवरण

01

नागेष उर्फ रामा कवासी (हथियार सुरका)

01 लाख रुपये

डीव्हीसी डमरू का गार्ड रहा। धमतरी के एकावरी और मेटाल मुठभेड़ों में शामिल।

02

जैनी उर्फ देवे मडकम (पार्टी सदस्य)

01 लाख रुपये

ओडिसा स्टेट कमेटी सदस्य प्रमोद उर्फ पाण्डु की गार्ड। कई बड़ी मुठभेड़ों में शामिल रही।

03

मनीला उर्फ सुंदरी कवासी (पार्टी सदस्य)

01 लाख रुपये

इन तीनों ने, माओवादियों की खोखली हो चुकी विचारधारा और जंगल के कष्टों से प्रभावित होकर, एक खुशहाल पारिवारिक जीवन जीने की इच्छा से प्रेरित होकर यह कदम उठाया है।

​आत्मसमर्पित माओवादियों की गतिविधियों का लेखा-जोखा

1. नागेश उर्फ रामा कवासी

  • निवासी: ग्राम तर्रेम, जिला बीजापुर।
  • संगठन में भर्ती: 2022 में पामेड एरिया कमेटी-डीव्हीसी (पांडू) द्वारा।
  • प्रशिक्षण: 2023 में ग्राम रायुम के जंगल में 06 माह का प्रशिक्षण लिया।
  • मुख्य गतिविधियाँ: इंद्रावती क्षेत्र और माड में सक्रिय रहा। नवंबर 2023 में सीसी-मनोज उसे कांकेर-रावस-धमतरी होते हुए गरियाबंद लेकर आए, जहाँ वह डीव्हीसी-डमरू के गार्ड के रूप में काम करता था। यह धमतरी के ग्राम एकावरी मुठभेड़ और 11.09.2025 को ग्राम मेटाल मुठभेड़ जैसी प्रमुख हिंसक घटनाओं में शामिल रहा, जिसमें तीन बड़े माओवादियों सहित 10 नक्सली मारे गए थे।

2. जैनी उर्फ देवे मडकम

  • निवासी: ग्राम इतगुडेम, जिला बीजापुर।
  • संगठन में भर्ती: 2016 में जनमिलिशिया में कार्य शुरू किया और 2017 में सदस्य के रूप में पामेड एरिया कमेटी में शामिल हुई।
  • कार्यक्षेत्र: गरियाबंद पहुंचने के बाद जून 2017 से ओडिसा स्टेट कमेटी सदस्य-पांडु उर्फ प्रमोद की गार्ड के रूप में कार्य करती रही।
  • मुख्य गतिविधियाँ: जैनी ने ओडिसा में कई बड़ी मुठभेड़ों में हिस्सा लिया, जिनमें कुनासोर, नुलुगुम्पा, और सुराडीह के पास की मुठभेड़ें शामिल हैं। इसके अलावा, वह धमतरी के ग्राम एकावरी और 11.09.2025 को मेटाल मुठभेड़ में भी शामिल रही।

3. मनीला उर्फ सुंदरी कवासी

  • निवासी: ग्राम जैगूर, जिला बीजापुर।
  • संगठन में भर्ती: जुलाई 2020 में रमेष-माटवाडा एरिया कमेटी कमाण्डर द्वारा।
  • कार्यक्षेत्र: शुरुआत में कृषि कार्य के लिए ग्राम कोटमेटा भेजी गई। बाद में ओडिसा राज्य में विस्तार के लिए गरियाबंद लाया गया। नवंबर 2021 से दिसंबर 2023 तक सीसी-चलपति उर्फ जयराम की गार्ड रही, जिसके बाद उसे सीनापाली एरिया कमेटी में भेजा गया।
  • मुख्य गतिविधियाँ: मनीला जुलाई 2022 को ग्राम दडईपानी में ओडिसा पुलिस के साथ मुठभेड़, जनवरी 2025 को काण्डसर मुठभेड़ और 11.09.2025 को मेटाल मुठभेड़ जैसी बड़ी घटनाओं में शामिल रही।

​आत्मसमर्पण का कारण: विचारधारा की खोखली हो चुकी नींव

​आत्मसमर्पित माओवादियों ने बताया कि उन्होंने माओवादी आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ के लिए यह कदम क्यों उठाया। उनका मानना है कि माओवादी संगठन की विचारधारा खोखली हो चुकी है और अब यह केवल निम्नलिखित गतिविधियों का अड्डा बन गया है:

  • ​निर्दोष ग्रामीणों की पुलिस मुखबीरी के शक में जबरन हत्या करना।
  • ​लोगों को बेवजह राशन और सामानों के लिए परेशान करना।
  • ​शासन के विकास कार्यों को नुकसान पहुंचाना।
  • ​छोटे-छोटे युवक-युवतियों को बहला-फुसलाकर या डरा धमकाकर संगठन में शामिल करना।
  • ​बड़े माओवादियों द्वारा छोटे कैडरों का शोषण करना।
  • ​निर्माण कार्यों से जुड़े ठेकेदारों से अवैध वसूली करना।

​पुनर्वास नीति का सकारात्मक प्रभाव

​इन स्थितियों से तंग आकर, इन माओवादियों ने छत्तीसगढ़ शासन की आकर्षक आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर समर्पण किया। उन्हें अपने पूर्व आत्मसमर्पित साथियों (जैसे आयतु, संजय, मुरली, लक्ष्मी, मंजुला, आदि) के खुशहाल जीवन के बारे में समाचार पत्रों और स्थानीय ग्रामीणों के माध्यम से जानकारी मिलती थी।

​पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली सुविधाएँ, जो समर्पण के लिए प्रेरणा बनीं:

  • ​पद अनुरूप ईनाम राशि की सुविधा।
  • ​हथियार के साथ समर्पण करने पर अतिरिक्त ईनाम राशि की सुविधा।
  • स्वास्थ्य और आवास की सुविधा।
  • रोजगार की सुविधा।

​गरियाबंद पुलिस द्वारा जंगल और गांवों में प्रचारित समर्पण नीति के पोस्टर और पैम्फलेटों ने भी उनके मन में विचार पैदा किया कि वे क्यों जंगल में पशुओं की तरह भटक रहे हैं और बड़े माओवादी कैडरों की गुलामी कर रहे हैं। माओवादी आत्मसमर्पण छत्तीसगढ़ की दिशा में यह एक मजबूत संदेश है।

​इस आत्मसमर्पण में गरियाबंद पुलिस की E-30, STF, Cobra 207 और CRPF का महत्वपूर्ण योगदान रहा। गरियाबंद पुलिस ने जिले में सक्रिय सभी माओवादियों से अपील की है कि वे हिंसा का मार्ग त्याग कर किसी भी थाना/चौकी/कैंप में आत्मसमर्पण कर सकते हैं।

𝐁𝐇𝐈𝐒𝐌 𝐏𝐀𝐓𝐄𝐋

𝐄𝐝𝐢𝐭𝐨𝐫 𝐇𝐈𝐍𝐃𝐁𝐇𝐀𝐑𝐀𝐓 𝐋𝐈𝐕𝐄 𝐍𝐞𝐰𝐬
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