छत्तीसगढ़

सरायपाली के शिशुपाल पहाड़ को मिलेगी नई पहचान: पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा

मुख्यमंत्री श्री बघेल की एक मंज़ूरी से जल्द ही सरायपाली को पर्यटन के क्षेत्र में नई पहचान मिलने वाली है। आज सरायपाली वासियों से भेंट मुलाक़ात करने पहुँचे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने शिशुपाल पर्वत को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित करने की घोषणा की। उनके घोषणा करते ही उपस्थित स्थानीय ज़नो ने ज़ोरदार तालियाँ बजाकर मुख्यमंत्री का आभार जताया।

अब इस पहाड़ पर ट्रैकिंग, पर्यटकों के लिए कई मूल भूत सुविधाओं को स्थापित करने का रास्ता खुल गया है। अंग्रेजो के जमाने से इलाक़े की पहचान रहे इस पहाड़ को पर्यटन के लिए विकसित करने से सरायपाली को नई पहचान मिलेगी। छतीसगढ़ में पर्यटन से स्थानीय स्तर पर रोज़गार को बढ़ावा देने की नीति से यहाँ के युवाओं के लिए आमदनी के नए अवसर बनेंगे। राज्य ही नहीं दूसरे प्रदेशों से भी पर्यटकों के आने से स्थानीय लोगों को भी अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों से लोगों को अवगत कराने का मौक़ा मिलेगा।

अभी भी सरायपाली का शिशुपाल पर्वत ट्रैकिंग का नया प्वाइंट बना हुआ है। शनिवार और रविवार को यहां पर्यटकों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है। बताया जाता है कि इसी पहाड़ के ऊपर किसी समय राजा शिशुपाल का महल हुआ करता था। जब राजा को अंग्रेजो ने घेर लिया तब राजा ने अपने घोड़े की आंख पर पट्टी बांधकर पहाड़ से छलांग लगा दी थी। इसी कारण इस पहाड़ को शिशुपाल पर्वत और यहां के झरने को घोड़ाधार जलप्रपात कहा जाता है।

ये राजधानी रायपुर से करीब 157 किमी की दूरी पर और सरायपाली से 30 किमी की दूरी पर स्थित पर्यटन स्थल शिशुपाल पर्वत स्थित है। समुद्र तल से शिशुपाल पर्वत की ऊंचाई करीब 900 फीट है। शिशुपाल पर्वत के ऊपर पहुंचने पर बड़ा सा मैदान है, जहां से बारिश के दिनों में पानी घोड़ाधार जलप्रपात के रूप में करीब 1100 फीट नीचे गिरता है।

𝐁𝐇𝐈𝐒𝐌 𝐏𝐀𝐓𝐄𝐋

𝐄𝐝𝐢𝐭𝐨𝐫 𝐚𝐭 𝐇𝐈𝐍𝐃𝐁𝐇𝐀𝐑𝐀𝐓 𝐋𝐢𝐯𝐞 ❤
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