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छत्तीसगढ़ को मिला पहला डाप्लर रडार, अब ब्लाक स्तर पर मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी, किसानों के लिए होगा वरदान साबित..

छत्तीसगढ़ में अब मौसम विज्ञान उन्नत होने जा रहा है। प्रदेश में पहला डाप्लर रडार इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में स्थापित होगा। इसकी मदद से अब मौसम की सटीक जानकारी ब्लाक स्तर पर भी मिल जाएगी। यह रडार को राजधानी में स्थापित किया जाएगा।

मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका भूमिपूजन किया। 10 सालों से लंबित प्रस्ताव पर केंद्र के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है। इसके लिए राज्य को 17 करोड़ रुपये मिले हैं। इस रडार की मदद से प्रदेश के 37 लाख किसानों को मौसम का पूर्वानुमान पता चलेगा।

सालों से प्रयासरत रहे कृषि विज्ञान

कृषि विवि रायपुर के कृषि मौसम विज्ञान केंद्र विभाग के विभागाध्यक्ष डा. जीके दास सालों से डाप्लर रडज्ञर को स्थापित करने को लेकर प्रयासरत रहे। केंद्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने भी स्वीकृति दे दी है। बताया जाता है कि यह रडार पहले 2010-11 स्थापित होना था, लेकिन लगाने के लिए इसलिए इतना लंबा समय टाल दिया कि छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से सेफ जोन में है। अभी किसानों को सही समय पर मौसम के खराब होने की जानकारी नहीं मिलने से हर साल नुकसान उठाना पड़ रहा है।

इन पड़ोसी राज्यों में लगा है रडार

पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के भोपाल के अलावा दिल्ली, पुणे, हैदराबाद, विशाखापट्टनम, अगरतला, चेन्नई, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना समेत अन्य शहरों में डाप्लर रडार लगे हैं। भारत में कुल 33 डाप्लर रडार लगे हुए हैं।

ऐसे मिलती है पूरी जानकारी

डा. जीके दास ने बताया कि डाप्लर रडार मौसम विभाग का अत्याधुनिक पूर्वानुमान उपकरण है। यह 32 मीटर ऊंची बिल्डिंग में लगाने पर 250 किलोमीटर की परिधि के मौसम की सटीक जानकारी देने की क्षमता रखता है। बादलों के घनत्व, हवा की रफ्तार, नमी की मात्रा की पुख्ता जानकारी के साथ-साथ ही अनुमानित चक्रवात, कम या ज्यादा बारिश की चेतावनी, ओला वृष्टि और तूफान आदि का सही-सही व त्वरित पूर्वानुमान इससे मिलता है। 32 मीटर की ऊंचाई पर लगने वाला यह रडार ढाई सौ किलोमीटर परिधि (रेडियस) में मौसम की कोई भी हलचल भांपकर उसकी हर दो घंटे में जानकारी देने की क्षमता रखता है।

इस तरह से काम करता है डाप्लर रडार

एक रडार प्रणाली में एक ट्रांसमीटर होता है, जो पूर्व निर्धारित दिशाओं में रेडियो तरंगों का उत्सर्जन करता है जिसे रडार सिग्नल कहा जाता है। जब ये किसी वस्तु के संपर्क में आते हैं तो वे आमतौर पर कई दिशाओं में परिवर्तित या बिखरे हुए होते हैं। यदि वस्तु ट्रांसमीटर की ओर या उससे दूर जा रही है तो डाप्लर प्रभाव के कारण रेडियो तरंगों की आवृत्ति में थोड़ा सा सामान परिवर्तन होता है।

एंटीना द्वारा कैप्चर किए गए परिवर्तित रडार सिग्नल आमतौर पर बहुत कमजोर होते हैं। उन्हें इलेक्ट्रानिक एम्पलीफायरों द्वारा मजबूत किया जा सकता है। वहीं जानकारी संबंधी आंकड़े कम्प्यूटर के माध्यम से आटोमेटिक रूप से 24 घंटे लगातार रिकार्ड होता है। मौसम विज्ञानियों द्वारा इन आंकड़ों एवं सेटेलाइट चित्रों का अध्ययन एवं विश्लेषण के बाद राज्य, जिला और ब्लाक स्तर पर मौसम संबंधी पूर्वानुमान सटीक जानकारी उपलब्ध हो जाएगा।

किसानों के लिए वरदान होगा साबित

कृषि विज्ञानियों के अनुसार प्रदेश में डाप्लर रडार स्थापित होने से किसानों के लिए यह वरदान साबित होगा। प्रदेश में 37 लाख किसान खेती-बाड़ी से सीधे जुड़े हुए है। इससे किसानों को खेती किसानी और मौसम संबंधी समसमायिक गुणवत्ता युक्त पहुंचाने में मददगार होगा।

डाप्लर रडार की सहायता से वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन के बादल फटना, चक्रवात जैसी घटनाओं की आवृती का समय पर सटीक, पूर्वानुमान लगा सकेंगे और राज्य शासन को पहले से सूचना देकर हानि को कम किया जा सकेगा।

𝐁𝐇𝐈𝐒𝐌 𝐏𝐀𝐓𝐄𝐋

𝐄𝐝𝐢𝐭𝐨𝐫 𝐚𝐭 𝐇𝐈𝐍𝐃𝐁𝐇𝐀𝐑𝐀𝐓 𝐋𝐢𝐯𝐞 ❤
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