कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर: एक अप्रैल से बदल जाएंगे नियम, आपकी सैलरी, पीएफ समेत छुट्टियों पर पड़ेगा ये असर…
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने चार लेबर कोड के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। इन कोड को पहले ही राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के बाद अधिसूचित किया जा चुका है। नए वेज कोड के 1 अप्रेल, 2021 से लागू होने की संभावना है। नए वेज कोड के लागू होने से टेक होम सैलरी घट जाएगी। संसद ने वेज कोड को 2019 में पारित किया था, जबकि अन्य तीन कोड्स को दोनों सदनों से 2020 में मंजूरी मिली। इन नियमों को बनाने के बाद अब चारों को कोड को एक साथ अधिसूचित किया जा सकता है।
कई श्रम कानून शामिल: कर्मचारियों के नौकरी से रिटायर होने के लाभ को बढ़ाने के लिए सरकार ने पिछले साल संसद में कोड ऑन वेज बिल 2019 (मजदूरी विधेयक पर संहिता) को पास कराया था। इसमें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम, मजदूरी भुगतान अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम और समान पारिश्रमिक अधिनियम जैसे श्रम कानून शामिल हैं।
बेसिक सैलरी को 50 फीसदी बढ़ाना होगा
श्रम कानूनों में बदलाव के तहत कंपनियों को कर्मचारियों की बेसिक सैलरी उनके सीटीसी की तुलना में 50 फीसदी करनी होगी. दरअसल नए कानूनों के तहत कर्मचारी के भत्ते कुल वेतन के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते. इसका असर ये होगा कि कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी होगी. साथ ही बोनस, पेंशन और पीएफ योगदान, एचआरए, ओवरटाइम आदि को वेतन से बाहर रखना होगा. इन्हीं बदलावों के कारण एक अप्रैल से कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
15 मिनट का मिलेगा ओवरटाइम
नए श्रम कानूनों के तहत यदि कर्मचारी निर्धारित समय से 15 मिनट ज्यादा काम करते हैं तो वह ओवरटाइम के पात्र माने जाएंगे. वर्तमान नियमों के मुताबिक निर्धारित समय से आधा घंटा अधिक काम करने पर कर्मचारी ओवरटाइम का पात्र माना जाता है. जिसे अब 15 मिनट कर दिया गया है.
हफ्ते में तीन छुट्टियों का प्रस्ताव
नए श्रम कानूनों के तहत कर्मचारियों को हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे काम करने की सुविधा मिल सकती है. प्रस्ताव के तहत अगर कोई कर्मचारी चार दिनों में ही 48 घंटे काम कर लेता है तो उसे हफ्ते में तीन छुट्टियां दी जा सकती हैं. हालांकि इसके लिए कर्मचारी को अपने काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने होंगे. अभी के नियमों के मुताबिक काम के घंटे 8 हैं और इस तरह हफ्ते में 6 दिन काम करना पड़ता है.
वेतन घटेगा और पीएफ बढ़ेगा
नए ड्राफ्ट रूल के मुताबिक, मूल वेतन कुल वेतन का 50 फीसदी या ज्यादा होना चाहिए। इससे ज्यादातर कर्मचारियों का सैलरी स्ट्रक्चर बदल जाएगा, क्योंकि वेतन का गैर-भत्ते वाला हिस्सा आमतौर पर कुल सैलरी का 50 फीसदी से कम होता है। मूल वेतन बढ़ने से पीएफ भी बढ़ेगा। पीएफ मूल वेतन पर आधारित होता है। पीएफ बढ़ने से हाथ में मिलने वाले वेतन की राशि (Take Home Salary) में कटौती होगी।
कैसे कम हो जाएगी आपकी सैलरी?
जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% है, उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला, लेकिन जिसकी बेसिक सैलरी CTC की 50% नहीं है उसे ज्यादा फर्क पड़ेगा। ऐसा इसलिए होगा, क्योंकि इन नियमों के तहत अब किसी की भी बेसिक सैलरी CTC के 50% से कम नहीं हो सकती। कहने का मतलब साफ है कि श्रम कानूनों में बदलाव के तहत कंपनियों को कर्मचारियों की बेसिक सैलरी उनके सीटीसी की तुलना में 50 फीसदी करनी होगी। दरअसल नए कानूनों के तहत कर्मचारी के भत्ते कुल वेतन के 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकते। इसका असर ये होगा कि कर्मचारी को मिलने वाली ग्रेच्युटी में बढ़ोतरी होगी। साथ ही बोनस, पेंशन और पीएफ योगदान, एचआरए, ओवरटाइम आदि को वेतन से बाहर रखना होगा। इन्हीं बदलावों के कारण एक अप्रैल से कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।
दरअसल PF का पैसा आपकी बेसिक सैलरी से कटता है, जो बेसिक सैलरी का 12% होता है। यानी बेसिक सैलरी जितनी ज्यादा होगी PF उतना ज्यादा कटेगा। पहले लोग टोटल CTC से बेसिक सैलरी कम कराकर अलाउंस बढ़वा लेते थे, जिससे टैक्स में छूट भी मिल जाती थी और PF भी कम कटता था। इससे इन-हैंड सैलरी बढ़ जाती थी।
रिटायरमेंट के बाद मिलेगा ज्यादा पैसा
ग्रैच्युटी और पीएफ में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में बढ़ोत्तरी होगी। ज्यादा वेतन पाने वाले अधिकारियों के सैलरी स्ट्रक्चर में सबसे ज्यादा बदलाव आएगा और इससे वे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। पीएफ और ग्रैच्युटी बढ़ने से कंपनियों की लागत में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसकी वजह यह है कि उन्हें कर्मचारियों के लिए पीएफ में ज्यादा योगदान करना पड़ेगा। इन सब बातों से कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी।
नौकरियों के अवसर बढ़ाने की उम्मीद
विशेषज्ञों का कहना है कि नए नियम आने के बाद से नौकरी करने और करवाने के तौर तरीके बदल जाएंगे। कंपनियां काम के लिए चार दिन का हफ्ता तय कर पाएंगी तो आपके घर आने वाले मेड और ड्राइवर तक के लिए अब पीएफ अकाउंट होगा। इससे कर्मचारियों को राहत मिलने के साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ने की उम्मीद है।