छत्तीसगढ़

मस्तुरी : धान की फसल में लगे रोग से परेशान हो रहे किसान, किसानों को फसलों की सुरक्षा हेतु नहीं मिला रहा समसामयिक सलाह..

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बिलासपुर, मस्तुरी :- जिले के कुछ क्षेत्रों में बेमौसम वर्षा एवं खराब मौसम होने के कारण कीट एवं बीमारियों के प्रकोप देखने को मिल रहे है। वर्तमान में मौसम की स्थिति को देखते हुए किसानों को विभिन्न कीट एवं बीमारियों के निरीक्षण एवं रोकथाम नियंत्रण करने की सलाह कृषि विभाग द्वारा दी जानी चाहिए थी ।

मस्तुरी क्षेत्र के किसानों ने बताया की कृषि विभाग के द्वारा उनकों किसी भी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिल रहा है जब किसानों का भारी मात्रा में नुकसान हो जाता है तब अधिकारी जांच को आ जाते हैं। क्षेत्र में जितने भी अगल- बगल गांव लगे हुए हैं जैसे कि ईटवा, पाली, टिकारी, परसदा, मुड़पार, कोनी लावर और मस्तुरी तहसील के कई गांव शामिल है जहां के किसान इस रोग से परेशान हैं। आस-पास के कई गांव में भी इसी प्रकार के प्रकोप का कहर देखा जा रहा है कृषि विभाग के अधिकारी फसल लगने के बाद आज तक भ्रमण में नहीं आए और ना ही कोई कीटनाशक दवाइयां भेजी गई है।

ग्राम ईटवा निवासी किसान लाल राम पोर्ते ने बताया की वो 3 एकड़ खेती करते हैं खेतों में नई-नई किस्म के बीमारी लग रहे हैं अभी तक 5 बार कीटनाशक दवाईयों के छिड़काव कर चुके है कृषि विभाग से उनकों किसी भी प्रकार का कोई सहयोग प्राप्त नहीं हुआ उन्होंने बताया की क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से उनके फसलों को काफी नुकसान पहुँचा है पर उन्होंने इसकी शिकायत किसी भी अधिकारी से नहीं की क्यौंकि रबी के फसलों में हुए नुकसान का मुवाजा अभी तक उन्हें नहीं मिला है और मिलनें का उनकों उमीद भी नहीं।

किसानों ने की मुआवजे की मांग

ग्राम ईटवा के किसानों ने ओलावृष्टि से रबी के फसलों में हुए नुकसान का मुवाजा जल्द से जल्द देने की मांग की है किसानों ने बताया की रबी के फसल 70 से 80 प्रतिशत अति ओलावृष्टि से खराब हो गया था जिसकी शिकायत राजस्व विभाग व कृषि विभाग के अधिकारियों को दी गई थी राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को ओलावृष्टि में हुए नुकसान का आकलन कर फॉर्म भरवाया गया था जिसका मुवाजा अभी तक उनकों नहीं मिला है किसानों ने इस से जुड़े सम्बंधित अधिकारियों से जल्द से जल्द मुवाजा दिलाने की अपील की है।

खेतों में इन बीमारियो का प्रकोप सबसे ज्यादा

धान का झुलसा रोग (ब्लास्ट)- वर्तमान ब्लास्ट रोग से धान फसल में अधिक प्रकोप होने की शिकायत प्राप्त हुई है। इस रोग के कारण पौधे के निचली पत्तियों में आंख या नाव आकार के धब्बे बनते है। वातावरण में अधिक नमी तथा बादलों वाला मौसम रोग फैलाने में सहायक होते है यह रोग पत्तियों के अलावा धान की बालियों को भी प्रभावित करता है, जिससे बालियों की गर्दन पर भूरे काले रंग का संक्रमण होने से बाली कमजोर एवं टूटने लगती है।

शीथ ब्लाइट- यह एक फफूंद जनित रोग है। जिस खेत में अधिक दिनों तक लगातार पानी जमा रहने से नमी युक्त मौसम व मेड़ों पर उगे घास से धान में फैलती है। धीरे-धीरे बीमारी पूरे फसल में फैल जाती है। इस रोग के कारण तने व पत्तियों पर लंबे डंडाकार भूरे रंग के धब्बे बनते है, जिसके कारण बालियों के दाने पोचे एवं काले रंग के हो जाते है। शीथ ब्लाइट का प्रकोप सबसे पहले धान के तने में होता है तथा पूरे पौधे में फैल जाते है।

बैक्टिरियल लीफ ब्लाइट-यह एक जीवाणु जनित रोग है। यह रोग धान में व्यापक रूप से देखने को मिल रहा है। इस रोग में धान फसल के पत्ते पीले या पैरा के रंग के एवं एक या दोनों किनारों से ऊपर या नीचे बढ़ते है और अंत में सूख जाते है। अधिक प्रकोप होने पर पूरा का पूरा पौधा सूख जाता है।

भूरा माहो-भूरा माहो की भी समस्या देखने को मिल रही है। भूरा माहो धान की बहुत की नुकसान दायक कीट है जो धान के तने से रस चूस कर बहुत तेजी से नुकसान पहुंचाती है। वातावरण में उसम होने के कारण भूरा माहो का प्रकोप बढ़ जाता है, मध्यम से लंबी अवधि में पकने वाली किस्मों में अधिक नुकसान पहुंचाती है। भूरा माहो के प्रकोप वाले पौधें गोल घेरे में पीली या भूरे रंग के दिखाई देनी लगती है व सूख जाती हैं। यह कीट पानी के सतह के ऊपर पौधें से चिपककर रस चूसती है।

 

𝐁𝐇𝐈𝐒𝐌 𝐏𝐀𝐓𝐄𝐋

𝐄𝐝𝐢𝐭𝐨𝐫 𝐚𝐭 𝐇𝐈𝐍𝐃𝐁𝐇𝐀𝐑𝐀𝐓 𝐋𝐢𝐯𝐞 ❤
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